
डीआरडीओ द्वारा बनाई गई दवा के इमरजेंसी उपयोग को मंजूरी
भारत में कोरोना की दूसरी लहर के कहर के बीच एक और राहत की खबर आई है। कोरोना के इलाज लिए देश में ही बनी एक और दवा के इमरजेंसी उपयोग की शनिवार को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने मंजूरी दे दी है। इस दवा का नाम 2- डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) है। ये दवा डीआरडीओ के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलायड साइंसेज और हैदराबाद सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्युलर बायोलॉजी ने बनाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच यह दवा रामबाण साबित हो सकती है।
पहली लहर के बाद ही कार्य शुरू
देश में कोरोना की पहली लहर के बाद ही डीआरडीओ ने इस दवा के निर्माण पर काम शुरू कर दिया था। अप्रेल 20 में डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की रिसर्च में पता चला कि यह दवा कोरोना वायरस के मरीजों के लिए मददगार हो सकती है। इस पर डीसीजीआई ने मई 2020 में दवा के दूसरे फेज के ट्रायल की मंजूरी दी। ट्रायल के दौरान जिन मरीजों को यह दवा दी गई, वो बाकी मरीजों की तुलना में जल्दी रिकवर हो गए। आम मरीजों की तुलना में ट्रायल में शामिल मरीज लगभग 2.5 दिन पहले सही हुए।
इस दवा के तीसरे फेज का ट्रायल दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच देशभर के 27 अस्पताल में किया गया। तीसरे फेज के ट्रायल में जिन लोगों को यह दवा दी गई, उनमें से 42 फीसदी मरीजों की ऑक्सीजन की निर्भरता तीसरे दिन ही खत्म हो गई।
दवा ऐसे करती है काम
यह दवाई पाउडर के रूप में आती है। पाउडर को पानी में घोलकर लिया जाता है। दवा लेने के बाद जब ये शरीर में पहुंचती है तो कोरोना संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाती है और वायरस को बढऩे से रोकती है। दवा बनाने वाले डीआरडीओ के वैज्ञानिक डॉ. एके मिश्रा ने का कहना है कि किसी भी वायरस की ग्रोथ के लिए ग्लूकोज जरूरी है। जब वायरस को ग्लूकोज नहीं मिलेगा, तो उसकी ग्रोथ रूक जाएगी यानि वह ज्यादा दिन जीवित नहीं रह पाएगा। इस वजह से वैज्ञानिकों ने लैब ने ग्लूकोज का एनालॉग बनाया, जिसे 2डीआरसी ग्लूकोज कहते हैं। वायरस इसे ग्लूकोज समझ खाने की कोशिश करेगा, जिससे उसकी तुरंत मौत हो जाएगी।