
आइसोलेशन कोच के लिए सांसद भागीरथ चौधरी ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
जयपुर। अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी ने कोरोना संक्रमण की इस जानलेवा दूसरी लहर से प्रदेश के कई स्थानों पर सरकारी एवं निजी चिकित्सालय में कोरोना संक्रमित लोगों को समुचित उपचार के लिए आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं, ऑक्सीजन के साथ साथ अब तो बैडों की उपलब्धता भी नहीं होने के कारण पीडि़त परिवारों को राहत दिलाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं मुख्य सचिव निरंजन आर्य को पत्र लिखा है।
इसमें प्रदेश के विभिन्न संभाग मुख्यालयों एवं जिला मुख्यालयों पर स्थित रेलवे स्टेशनॉ पर रेल मंत्रालय द्वारा तैयार रेलवे आइसोलेशन कोचों की व्यवस्था अविलंब कराने के लिए पत्र लिखा। सांसद चौधरी ने पत्र के माध्यम से प्रदेश के वर्तमान हालातों का उल्लेख करते हुए उन्हें अवगत कराया कि वर्तमान में संपूर्ण प्रदेश में गत 15 दिनों से कोरोना की इस दूसरी लहर ने शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी अपने पांव पसार लिए हैं, जो कि चिंता का विषय है। जिसका ज्वलंत उदाहरण अजमेर संभाग मुख्यालय पर स्थित सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान जवाहरलाल नेहरु चिकित्सालय के साथ वहा स्थित प्रमुख निजी एवं बड़े चिकित्सा संस्थानों में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए पर्याप्त बैडों की कमी के चलते गत 3-4 दिनों से सैकड़ों मरीजों को अस्पतालों में भर्ती नहीं किया जा रहा है। अजमेर स्थित जेएलएन चिकित्सालय में जिले के साथ संभाग के अन्य जिलों नागौर, भीलवाड़ा, टोंक के भी ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों की आवाजाही निरंतर होती रही है। लेकिन इस कोरोना काल में यह संभाग का बड़ा चिकित्सा संस्थान आज हांफ रहा है, जिससे आमजन के साथ-साथ पीडि़त कोरोना संक्रमित परिवार जनों में भय एवं रोष व्याप्त हो रहा है।
रेलवे कोचों में आइसोलेशन वार्ड तैयार
भारत सरकार के रेल मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार की मांग पर हर रेलवे जोन मुख्यालय पर रेलवे कोचों में आइसोलेशन वार्ड तैयार कर भेजने हेतु तत्पर एवं जिम्मेदार भी है। यदि आप इस विषय में आज ही केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर प्रदेश के सभी आवश्यक जिला मुख्यालयों के साथ-साथ अजमेर रेलवे स्टेशन पर भी पर्याप्त जगह को दृष्टिगत रखते हुए यहां पर भी 1000 बैडों के रेलवे कोच आइसोलेशन वार्ड सुविधा सहित मंगाने के लिए आवश्यक मांग पत्र भिजवा दें तो वर्तमान में कोरोना संक्रमित मरीजों और हॉस्पिटल में हो रही बैड़ों की कमी की समस्या को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही मरीजों की स्थिति बिगडऩे पर उन्हें तत्काल उचित स्थान पर पहुंचा कर समय पर समुचित इलाज की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जा सकेगी।