
सरसों के भाव चल रहे है एमएसपी से अधिक
सत्येन्द्र शर्मा
जयपुर। सरसो उत्पादक किसान इन दिनों राहत महसूस कर रहे है। कोरोना काल में सरसो तेल की बढ़ी मांग और अन्तरराष्ट्रीय बाजार में भी खाद्य तेलों की बढ़ी कीमत के कारण सरसोँ तेल के भाव बढ़ गए है। इसका इस बार सरसो की खेती करने वाले किसानों को भी थोड़ा सा लाभ मिल रहा है।
राजस्थान में भी सरसो की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इसलिए राज्य के सरसो उत्पादक किसानों को भी थोड़ी राहत है। सरसो की एमएसपी 4650 रुपए प्रति क्विंटल है। वहीं बाजार में सरसों के भाव 5600 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे है। इसलिए किसान बाजार में ही सरसो बेच रहे है। मंडियों में सरसों की जमकर खरीद हो रही है। केंद्र सरकार की ओर से सरसो तेल में अन्य किसी भी प्रकार की मिलावट प्रतिबंधित किए जाने से सरसो तेल की शुद्धता और बढ़ गई है। कोरोना काल में भी लोग सरसो तेल के गुणों से परिचित हुए तो इसकी मांग काफी बढ़ गई है। सरकार सरसो उत्पादक किसानों को और प्रोत्साहित करे तो किसानों के साथ देश को भी लाभ मिलने लगेगा।
ऐसा ही लाभ अन्य जिंसों के किसानों को भी मिलने लग जाए तो किसानों को राहत मिलने के साथ उपेक्षित ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान आने लग जाएगी। इसके लिए सरकार को योजना बनाकर गंभीरता से लागू करना चाहिए ताकि गांवों में बेरोजगारी की समस्या भी कम हो।
वात विकार शांत करते हैं तेल
किशनगढ़ के वरिष्ठ वैद्य गोविंद नारायण शर्मा ने बताया कि तेल जितने भी होते है वह वात विकार शांत करने वाले होते है। शरीर में किसी भी प्रकार का वायु विकार बढ़ा हुआ हो या वायु बढ़ी हुई हो तो तेल का अभ्यंग यानि की मालिश, पान यानि भोजन में उपयोग वायु का शमन करता है। इसके साथ ही यह कफ को भी नहीं बढऩे देता है। शक्ति बढ़ाने वाली, त्वचा के लिए हितकारी, मांसपेशियों के लिए लाभकारी होता है। सरसों का तेल स्वाद में थोड़ा कड़वा लेकिन वायु और कफ नाशक है। सिर में खुजली, चर्म रोग इन सबको यह दूर करता है। जिस व्यक्ति को जुकाम अधिक लगती हो तो वह नाक में सरसों का तेल लगाए तो उसे काफी लाभ मिलेगा। पांव के तलवों में सरसो तेल की मालिश की जाए तो आंखों की रोशनी कमजोर नहीं होती है। सर्दियों में इसके तेल की मालिश काफी लाभकारी होती है। कुछ लोगों को सरसो तेल के सेवन से चर्म रोग भी हो सकता है। गर्मियों में इसका सेवन कम से कम करना चाहिए।
खाद्य तेलों के आयात पर 85 हजार करोड़ रूपए खर्च
गौरतलब है कि देश में खाद्य तेलों के आयात पर भी हजारों करोड़ रुपए की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च की जाती है। इसके बदले देश के तिलहन उत्पादक किसानों को एमएसपी बढ़ाकर लाभ दिया जाए तो किसानों को भी लाभ मिलेगा। साथ ही देश की हजारों करोड़ रूपयों की विदेशी मुद्रा भी बचेगी। पिछले वर्ष खाद्य तेलों के आयात पर 85 हजार करोड़ रूपए खर्च हुए थे, जो इस साल सवा लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है जो देश का काफी बड़ा नुकसान है।