
करेंसी हमारे जीवन के लिए बहुत जरूरी है। वर्तमान दौर में बिना करेंसी (मुद्रा) के जीवनयापन असंभव सा ही है। हमें रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए रोज नोटों की जरूरत पड़ती है और इसके लिए हम रोज काम पर जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नोट कहां छपते हैं और भारतीय करेंसी के नोटों को छापने में कितना खर्चा आता है तो आप जानिए-
नोट छापने की पहली प्रेस नासिक में
हमारे देश की करेंसी को नोट कहा जाता है। ये नोट भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से कुछ चिन्हित सरकारी प्रेस में छपवाए जाते हैं। इसके लिए पूरे देश में चार सरकारी प्रिंटिंग प्रेस हैं, जो नासिक, देवास, मैसूर व सालबोनी (प. बंगाल) में हैं। इन्हीं में नोट प्रिन्टिंग का कार्य होता है। देश की पहली नोट छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस नासिक में 1926 में स्थापित की गई थी और वह 1928 से नोट छाप रही है। इसके बाद 1975 में देवास (मध्य प्रदेश) में दूसरी, 1999 में मैसूर में तीसरी और 2000 में सालबोनी (पश्चिम बंगाल) में चौथी नोट छापने वाली प्रेस की स्थापना की गई।
दो हजार का नोट छपता है 3.53 रुपए में
नोटों की छापने का खर्चा इनकी वैल्यू के हिसाब से काफी कम होता है। वर्ष 2018 के आंकड़ों के अनुसार 10 रुपए के नोट को छापने में 1.01 रुपया, 20 रुपये के नोट को छापने में एक रुपया, 50 रुपए के एक नोट को छापने में 1.01 रुपए और 100 रुपये के एक नोट को छापने में 1.51 रुपए लगते हैं। दो सौ रुपए के एक नोट को छापने में 2.15 रुपए का खर्च आता है। दो हजार का एक नोट को छापने में 2018 में 4 रुपये 18 पैसे का खर्चा आया था व 2019 में एक नोट छापने में 3.53 रुपए खर्च हुए। वहीं 500 रुपये के नोट को छापने में 2.13 रुपए खर्च होते हैं।
स्विटजरलैंड से आती है स्याही
नोटों को प्रिंट करने के लिए खास तरीके की स्याही का इस्तेमाल किया जाता है। यह स्याही स्विटजरलैंड की एक कंपनी द्वारा बनाई जाती है। नोटों की छपाई में उपयोग में होने वाला पेपर भी खास तरीके से तैयार किया जाता है। इन नोटों की प्रिंटिंग खास तरीके से होती है। नोट में कई सिक्योरिटी फीचर्स होते हैं, जिससे इनकी विशेष पहचान होती है। इन सिक्योरिटी फीचर्स से ही नकली और असली नोट की पहचान होती है। इन सिक्योरिटी फीचर्स में गांधी जी की फोटो से लेकर रंग, एक आरबीआई लिखी पट्टी आदि शामिल होते हैं।
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