
मदनगंज-किशनगढ़। अजमेर जिले के मदनगंज-किशनगढ़ में सिंधियत दिवस पर भगवान झूलेलाल मन्दिर में सिंधियत दिवस मनाया गया। आज ही के दिन भारतीय सविधान में 10 अप्रैल 1967 को सिन्धी भाषा को दर्जा मिला आज 51 वर्ष पूर्ण हुए। सिंधियत दिवस पर भगवान झूलेलाल मन्दिर मे ललित महाराज की ओर से पूजा अर्चना की गई। सिन्धु नवयुवक संघ सचिव गिरधारी अमरवानी ने बताया क़ि आजादी पूर्व भारत का अभिन्न अंग सिन्ध प्रांत था, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान अलग देश बनने के बाद सिन्ध बंटवारे मे वहां रह गया। वहां की भाषा सिन्धी ही थी। आज भी पकिस्तान की तीसरी सबसे ज्यादा बोलने वाली भाषा सिंधी ही है।
यह पिछले 2000 वर्ष से बोली जा रही है। इसके प्रमाण मोहनजोद्डो सभ्यता में भी मिले है। सिन्धी समाज व्यापारी वर्ग है और अपनी मेहनत से सारी दुनिया में व्यापार कर रहा है। सिन्धी शब्दावली का 70 हिस्सा संस्कृत भाषा से मिलता है। पिशुभाई मुलानी एव शंकर दास आसुदानी ने सिन्धी भाषा पर अपने विचार रखे एवं बताया कि घरों में अपनी मातृभाषा ही हमे बोलनी चाहिए। करण मेघानी ने बताया कल दाल पकवान दिवस पूरे विश्व में सिन्धी समाज मना रहा है। सभी से सपरिवार संत कंवर राम भवन आने का आग्रह किया। इस अवसर पर मुकेश मेघानी, गिन्नी भाई रामनानी, तारा चंद गोस्वामी, लच्छूमल चन्दानी, प्रकाश फुलवानी, नरेश मंगलानी, कमल आदि मौजूद रहे।
किया जाएगा दीप दान
किशनगढ़ में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मां भारती रक्षा मंच की ओर से हिंदू नव वर्ष की पूर्व संध्या पर कृष्णगढ़ घाट पर 1001 दीपों से दीपदान किया जाएगा। मंच के सचिव राकेश स्वर्णकार ने बताया कि विक्रम संवत 2078 हिंदू नव वर्ष के आगाज पर मां भारती रक्षा मंच के तत्वाधान में कृष्णगढ़ घाट को रंगोली एवं भगवा पताकाओं से सजाया जाएगा। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से काचरिया पीठ के पीठाचार्य जयकृष्ण देवाचार्य के द्वारा पूजा अर्चना कर 1001 दीप प्रज्वलित किए जाएंगे।