गांव में रहता है अरबों की सॉफ्टवेयर कंपनी का मालिक

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वर्क फ्रोम होम के साथ वर्क फ्रोम विलेज का कन्सेप्ट
ग्रामीण युवाओं को जोड़ रहे है रोजगार से

सत्येंद्र शर्मा

जयपुर। अरबपति साफ्टवेयर कंपनी का मालिक होकर भी गांव में रहे तो आपको आश्चर्य होगा, लेकिन यह सच है। इसमे भी अगर वह अमरीका से आकर गांव में ही रहे और वहीं से कंपनी का संचालन करे तो आपका आश्चर्य और बढ़ जाएगा पर यह सच है। वेंबू का वर्क फ्रोम विलेज का कंसेप्ट सफल हो गया तो पूरी दुनिया का नजारा बदल जाएगा।
तमिलनाडु के तेनकासी कस्बे के मथलामपराई गांव में इस समय जोहो कंपनी के मालिक श्रीधर वेंबू रह रहे है। वेंबू इस समय यही से अपनी कंपनी का संचालन करते है। कंपनी का मुख्यालय उन्होंने चेन्नई कर दिया है। चेन्नई से लगभग 650 किलोमीटर दूर दक्षिण तमिलनाडु का हिस्सा है, जहां काफी हरियाली और कई झरने भी है। वेंबू को केंद्र सरकार की ओर से पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है। साथ ही नेशनल सिक्यूरिटी एडवाजरी बोर्ड का सदस्य भी बनाया गया है। जोहो के अमरीका, चीन, जापान, आस्टे्रलिया, इंगलैंड, जर्मनी, फ्रांस सहित दुनिया के सभी विकसित देशों में कार्यालय है। जोहो की इस समय नेट वर्थ लगभग 2.51 बिलियन (लगभग 18 हजार करोड़) है और इसका लाभ लगभग 4 हजार करोड़ यानि की 40 अरब रूपए रहा है।

ग्रामीण प्रतिभाओं को बढ़ाएंगे आगे

वर्तमान में 54 वर्षीय श्रीधर वेंबू ने 1996 में साफ्टवेयर कंपनी एडवेंट नेट की स्थापना की थी, जिसका नाम बदलकर 2009 में जोहो कारपोरेशन कर दिया गया। वर्तमान में जोहो के दो ग्रामीण कार्यालय स्थित है। तेनकासी और आंध्रप्रदेश के रेनीगुंटा में इनकी कंपनी के 9300 कर्मचारियों में से लगभग 400 यहीं से काम करते है। इसके साथ ही वर्तमान में और ग्रामीण कर्मचारियों की संख्या बढ़ाए जाने और 21 ग्रामीण कार्यालय की योजना पर काम चल रहा है। वेंबू का मानना है कि साफ्टवेयर हो या अन्य कोई सेवा इसका गांवों से भी अच्छा संचालन हो सकता है और ग्रामीण प्रतिभाओं को आगे बढ़ाकर यह करके दिखाएंगे।

लॉकडाउन से पहले ही सोचा

वेंबू ने आईआईटी मद्रास से 1989 में पढ़ाई की है। इसके बाद प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पीएच.डी की और नामी कंपनी क्वालकॉम में काम किया। साथ ही कैलिफोर्निया में रहे। वेंबू का मानना है कि गांवों में छोटे कार्यालय स्थापित कर ग्रामीण युवाओं को रोजगार दिया जा सकता है। रोजगार के लिए गांवों से शहरों में पलायन अच्छा विकल्प नहीं है। वेंबू ने अमरीका से भारत आकर अक्टूबर 2019 में ही मथालमपराई गांव से काम शुरू कर दिया। वह प्रतिदिन साइकिल से गांव में घूमते है और ग्रामीणों से बातचीत कर ग्रामीण विकास की योजना बनाते है।

तो बदल जाएगी गांवों की हालत

श्रीधर वेंबू की तरह ही अन्य सक्षम लोग भी गांवों के लिए काम करने लग जाए तो गांवों की हालत बदल जाएगी। वर्क फ्रोम विलेज का कंसेप्ट सफल हो गया तो ग्रामीणों को रोजगार और इलाज के लिए शहर नहीं आना पड़ेगा साथ ही देश की अर्थव्यवस्था भी गरीबी मुक्त हो जाएगी।

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