
अमेरिका की एक खतरनाक बीमारी अब भारत में भी फैलनी लगी है। कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में इस बीमारी का एक केस मिला था, जिसका उपचार जयपुर जेके लॉन अस्पताल में किया गया था। वहीं अब हरियाणा के 25 बच्चों और युवाओं में इस बीमारी के लक्षण पाए गए हैं। यह एक आनुवांशिक बीमारी है, जिसका नाम स्पाइनो मस्कुलर एट्रॉफी (एसएमए) है। अमेरिका में हर साल पैदा होने वाले बच्चों में से करीब 400 बच्चों में यह बीमारी पाई जाती है। इस बीमारी का इलाज कैंसर से भी बहुत महंगा है। इस बीमार के इलाज में प्रयोग होने वाले इंजेक्शन की कीमत करीब 20 करोड़ रुपए है। यह दवा अमेरिका की नोवार्टिस कंपनी बनाती है।
हरियाण के नारायणगढ़ के डहर निवासी 19 वर्षीय दिपांशु में इसकी पुष्टि हुई है। दीपांशु करीब चार साल पहले चलते-चलते कई बार अचानक गिर जाता है। इसके बाद उसका पीजीआई चंडीगढ़ में इलाज शुरू हुआ तो एसएमए की पुष्टि हुई। इस प्रकार अब तक हरियाण के 25 बच्चों व युवाओं में इसकी पुष्टि हो चुकी है।
बहुत महंगा है इलाज
चिकित्सकों का कहना है कि इस बीमारी का इलाज बहुत मंहगा है। इसके एक इंजेक्शन की कीमत करीब २० करोड़ रुपए है। वह भी कंपनी यह इंजेक्शन डिमांड पर उपलब्ध कराती है। यह इंजेक्शन अमेरिका की कंपनी नोवार्टिस बनाती है। जिन शिशुओं में इस बीमारी के लक्षण पाए जाते हैं, वे धीरे-धीरे अक्षम हो जाते हैं एवं उन्हें सांस लेने के लिए वेंटिलेटर की सहायता लेनी पड़ती है। इस बीमारी के उपचार की पद्धति को जोल्गेंस्मा नाम दिया गया है। जोल्गेंस्मा विकृत जीन की जगह एक स्वस्थ जीन को शरीर में प्रविष्ट करा कर तंत्रिका कोशिकाओं के लिए आवश्यक प्रोटीन का उत्पादन शुरू करता है, जिससे पीडि़त का शारीरिक और मानसिक विकास सामान्य रूप से होने लगता है।
कमजोर हो जाती हैं शरीर की मांसपेशियां
चिकित्सकों के अनुसार स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी जेनेटिक बीमारी है। यह शरीर में एसएमएन-1 जीन की कमी से होता है। इससे पूरे शरीर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। शुरुआत में तो चलने-फिरने में दिक्कत होती है। बाद में छाती की मांसपेशियां कमजोर हो जाने की वजह से सांस लेने में परेशानी आने लगती है और मरीज की मौत तक हो जाती है। इस बीमारी का इलाज काफी महंगा है। इसके लिए जो इंजेक्शन कारगर है, उसकी मूल कीमत 16 करोड़ रुपए है। टैक्स आदि लगने के बाद यह करीब 20 करोड़ रुपए का पड़ता है।