खंभों को छूने पर बजता है संगीत, अंग्रेजों ने राज जानने के लिए काट दिए थे खंभे

Spread the love

कर्नाटक के हम्पी में है श्री विजय विठ्ठल मंदिर

दुनिया अजूबों व रहस्यों से भरी है। विज्ञान के इस युग में भी वो रहस्य आज भी रहस्य ही बने हुए हैं। वैज्ञानिक भी इन रहस्यों से पर्दा उठाने में नाकाम रहे हैं। ऐसा ही एक मंदिर है कर्नाटक का विजय वि_ल मंदिर, जिसके स्तंभों को खटखटाने पर संगीत सुनाई देता है। आज तक यह पता नहीं चल पाया है कि इन स्तंभों से संगीत की आवाज कैसे और कहां से निकलती है।
कर्नाटक के हंपी में विजयनगर साम्राज्य के समय का यह श्री विजय विठ्ठल मंदिर है। यह मन्दिर हिन्दुओं के प्रमुख देवता भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर के खंभों से संगीत की आवाजें आती हैं विशेषकर संगीत के सात सुरों सा रे गा मा आदि की। इसके रहस्य का अभी तक कोई पता नहीं कर सका है। अंग्रेजों के समय भी एक बड़ा खंभा और एक छोटा खंभा काटकर मालूम करने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली।

यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल

मंदिर की इस खासियत को देखते हुए इसे यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भी शामिल किया जा चुका है। यह मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए भी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यह बेंगलुरू से 350 किलोमीटर की दूरी पर है और तुंगभद्रा नदी के किनारे पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा देवराय द्वितीय के समय (1422-1446) करवाया गया था। इसके बाद सम्राट कृष्ण देवराय (1509-1529) के समय इस मंदिर को बड़ा स्वरूप दिया गया।

खंभों के पास जाना किया प्रतिबंधित

इस मंदिर के मुख्य हिस्से महामंडप के पास बड़ा रंग मंडप है। इसी में ५६ संगीतमय खंभे हंै। यह खंभे गे्रनाइट से बने हुए हंै। जब इन खंभों पर अंगूठा लगाया जाता है तो संगीत की आवाजें आती हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत की मुख्य धुने सा रे गा मा पा दा नी है। इन खंभों में से इसी की आवाज आती है। हर मुख्य संगीतमय खंभे के पास 7-7 खंभे हैं। इन खंभों में से आने वाली संगीतमय आवाज भी अलग-अलग होती है। कई बार इस संगीत स्वर की आवाज कहां से आती हैं, इसका पता लगाने की कोशिशें की गई, लेकिन अभी तक मालूम नहीं चल सका है। वर्तमान में इन खंभों के पास जाना प्रतिबंधित कर दिया गया है ताकि खंभों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे।

यहां है भारी भरकम पत्थर का रथ

मंदिर में एक छोटा गर्भगृह है, जो आम जनता के लिए खुला है। वहीं बड़े गृह की सजावट देखने लायक है। इस मंदिर में एक पत्थर का रथ भी है। मंदिर परिसर में पूर्वी दिशा में स्थित इस भारी भरकम रथ को पत्थर के पहियों की मदद से इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। मंदिर परिसर के भीतर कई मंडप, मंदिर और विशाल कक्ष भी बनाए गए हैं। यह मंदिर द्रविड़ शैली में बना हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version