करंट ने भुजाएं छीन ली, अब कोरोना ने बेटा

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गोपाराम खारवाल
दिवंगत प्रवीण कुमार

कहां जाए दिव्यांग पिता
बिलाड़ा में पुत्र की मौत के बाद मुसीबत में परिवार

जोधपुर। जोधपुर जिले के बिलाड़ा में एक पुत्र की मौत के बाद परिवार मुसीबत में आ गया है। कोरोना किस तरह परिवारों से उनके प्रियजनों को छीन रहा है और उनकी मुसीबतों को कई गुना बढ़ा रहा है। यह इसका उदाहरण है। अब परिवार में बुजुर्ग दिव्यांग पिता के सामने यह समस्या आ गई है कि वह कैसे अपने पोते-पोतियों का पालन पोषण कर सकेगा।
परिवार के बारे में वीर खारवाल ने बताया कि जोधपुर जिले के बिलाड़ा तहसील के गांव कापरड़ा निवासी प्रवीण कुमार विद्युत निगम में सहायक प्रथम के पद पर कार्यरत थे और कुछ दिन पूर्व ही उनका प्रोबेशन पीरियड पूरा हुआ था। लेकिन कोरोना की चपेट में आने से युवावस्था में ही उनकी मौत हो गई और अब परिवार की पीड़ा कई गुना बढ़ गई है। प्रवीण कुमार की आयु मात्र 32 वर्ष की ही थी।

बेकार गया 14 साल का संघर्ष

प्रवीण कुमार के पिता गोपाराम खारवाल डिस्कॉम कर्मचारी थे, लेकिन वर्ष 2004 में बीनावास में विद्युत निगम का कामकाज करते समय उनके दोनों हाथ खराब हो गए थे। उन्होंने विभाग में प्रार्थना पत्र भी दिया कि बेटे को नौकरी दी जाए, लेकिन विभाग ने मना कर दिया। बाद में 14 वर्ष तक न्यायिक संघर्ष के बाद उच्च न्यायालय की डबल बैंच ने उनके बेटे प्रवीण कुमार को सहायक प्रथम के पद पर नियुक्ति देने के आदेश दिए। इस पर 26 फरवरी 2018 को उनके पिता गोपाराम को स्वैच्छिक सेवानिवृति देकर बेटे प्रवीण को पीपाड़ डिस्कॉम कार्यालय में पदस्थापित किया गया।

परिवार का सहारा था प्रवीण

परिवार का सहारा प्रवीण ही था। प्रवीण ही सारी घरेलू और बाहर की जिम्मेदारियां निभाता था। जब उसके पिता वर्ष 2004 में करंट से अपने दोनों हाथ गंवा बैठे थे, तब उसने 14 साल तक अपने पिता को ड्यूटी करवाने के लिए रोज बाइक पर ले जाने की जिम्मेदारी निभाई। प्रवीण के लंबे समय संघर्ष के बाद नौकरी लगने पर परिवार को आस थी कि अब कुछ राहत मिलेगी, लेकिन अब यह आस भी टूट गई।

अंत नहीं परिवार की पीड़ाओं का
परिवार पर कोरोना का कहर टूटने के कारण उनकी पीड़ाओं का अंत नहीं है। परिवार के गोपाराम दिव्यांग और बुजुर्ग होने के कारण एवं करीब 65 वर्ष के होने के कारण आर्थिक उपार्जन का कार्य नहीं कर सकते है और परिवार की जिम्मेदारी एक बार फिर उन पर आ गई है।

तीन बच्चों की पढ़ाई
परिवार के प्रवीण कुमार की मौत होने से उसके 2 पुत्र और 1 पुत्री की पढ़ाई का खर्चा भी उठाना पड़ेगा। इन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई सहित अन्य भार भी इस दिव्यांग पिता को उठाना पड़ेगा।

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