
हर महिला की इच्छा होती है कि वो मां बने। जो महिलाएं किसी कारणवश मां नहीं बन पाती हैं, उन्हें यह दर्द जीवनभर सालता है। ऐसे में एक मां ही महिला के दर्द को समझ सकती है। ऐसी महिलाओं का ही दुख दूर करती हैं एक मां, जो हिमाचल प्रदेश के सिमस गांव के मंदिर में विराजित हैं। मान्यता है कि निसंतान महिलाओं के इस देवी के मंदिर में फर्श पर सोने से संतान की प्राप्ति होती है। इस मंदिर को संतान दात्री मंदिर भी कहते हैं। इस मंदिर में मां शारदा पिंडी रूप में विराजमान हैं। सिमसा माता का मंदिर कितना प्राचीन है यह तो कोई निश्चित तौर पर नहीं बता पाता है, लेकिन यहां पर करीब 400 वर्षों से माता द्वारा संतान देने का सिलसिला चल रहा है।
सपने में मिलता है संतान का संकेत
प्राचीन मान्यताओं के मुताबिक यहां मां संतान की कामना लेकर आने वाली महिलाएं श्रद्धा और विश्वास से मंदिर परिसर में ही दिन और रात में सोती हैं। मान्यता है कि निसंतान महिला के स्वप्न में मां शारदा किसी मानव स्वरूप में आकर दर्शन देने के साथ संतान प्राप्ति का आशीर्वाद भी देती हैं। इस दौरान वे स्वप्न में महिलाओं को कंद, फल-फूल या अन्य कोई वस्तु देती हैं, जिससे संतान प्राप्त होने या नहीं होने का अनुमान लगाया जाता है। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि मातासंतान के लिंग का भी संकेत देती हैं। यहां श्रद्धालुओं का कहना है कि अगर सपने में महिला को अमरूद का फल मिलता है तो इसका अर्थ है कि उसे पुत्र की प्राप्ति होगी। वहीं महिला को सपने में भिंडी मिलती है तो इसका मतलब है कि महिला को पुत्री होगी। अगर महिला को स्वप्न में धातु या लकड़ी की कोई चीज प्राप्त होती है, तो यह उसे संतान नहीं होने का संकेत होता है। कहा जाता है कि स्वप्न में कोई वस्तु मिलने के बाद महिला को तुरंत मंदिर परिसर खाली करना होता है। यदि कोई महिला इसके बाद भी मंदिर परिसर खाली नहीं करती है तो उसके पूरे शरीर में खुजली चलने लग जाती है।
नवरात्र में होता है विशेष आयोजन
इस मंदिर में संतान के लिए नवरात्र में विशेष आयोजन होता है। नवरात्र में यहां सलिन्दरा या सेलिंद्रा उत्सव मनाया जाता है, जिसका अर्थ होता है सपने में आना। इस दौरान हिमाचल के पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ से सैकड़ों निसंतान महिलाएं यहां आती हैं। यह मंदिर्र हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की लड़भडोल तहसील के सिमस गांव में है।
