
जयपुर। कोरोना ने तो पहले ही सांसें अटका रखी थी। अब एक शोध रिपोर्ट ने चिंता की लकीरें और बढ़ा दी हैं। अमरीका की एक लेबोरेटरी सहित दुनिया के विभिन्न वैज्ञानिकों ने अपने शोध में दावा किया है इस साल तेज गर्मी पड़ेगी और दक्षिण एशियाई देशों में इसका प्रकोप सर्वाधिक होगा, जिसमें भारत भी शामिल है। दक्षिण एशिया में लू से जनहानि होने का भी अंदेशा जताया गया है।
अमेरिका की ओक रिज नेशनल लेबोरेटरी सहित दुनिया के विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोधों में दावा किया गया है कि इस साल भीषण गर्मी के कारण भारत में खाद्यान्न फसलों का उत्पादन करने वाले बड़े राज्यो, जिनमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी बंगाल शामिल हैं पर भी असर पड़ेगा। भीषण गर्मी के कारण किसानों व मजदूरों को खेतों में काम करने में काफी समस्याएं आएंगी और इससे उनकी जान को भी खतरा हो सकता है। इससे खाद्यान्न उत्पादन में भी गिरावट आएगी।
उत्तर प्रदेश व बंगाल में ज्यादा होगा प्रकोप
शोध के अनुसार गर्मी का अत्यधिक प्रकोप उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में होगा, जहां काम करने में लोगों को अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही समुद्र तट से लगते इलाकों हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, भावनगर, पुड्डुचेरी जैसे शहरी इलाकों में भी गर्मी का असर तेज रहेगा। जर्नल जियोफिजिक्स रिसर्च लेटर में प्रकाशित शोध के मुताबिक दो डिग्री तापमान बढऩे से तेज गर्मी का सामना करने वाली आबादी में तीन गुना तक की बढ़ोतरी हो जाएगी। इस शोध में दावा किया गया है कि दक्षिण एशिया के देशों में भीषण गर्मी पडऩे का संकट हर साल बढ़ता जा रहा है। ऐसे में दक्षिण एशियाई देशों के लिए यह आवश्यक हो गया है कि तापमान में वृद्धि पर नियंत्रण के प्रयासों में तेजी लाई जाए। इसके लिए पौधारोपण पर तो जोर देना ही होगा। साथ ही वाहनों व कल कारखानों से होने वाले प्रदूषण पर भी काबू होना होगा। साथ ही ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए तुरंत प्रयास शुरू करने की आवश्यकता है।
तापमान में बढ़ोतरी खतरनाक
वैश्विक तापमान में डेढ़ से दो डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने से दक्षिण एशिया में जानलेवा लू चलने लगेगी। जानकारी के मुताबिक 32 डिग्री वेट बल्ब टेम्प्रेचर को मजदूरों के लिए असुरक्षित माना जाता है। इसके 35 डिग्री पहुंचने पर इंसान का शरीर खुद को ठंडा नहीं रख पाता और यह मानव शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है।