“काया री कळझळ” पुस्तक का किया लाइव लोकार्पण
जयपुर। प्रभा खेतान फाउंडेशन की ओर से ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के सहयोग से रविवार को आखर राजस्थान के फेसबुक पेज पर संतोष चौधरी की सद्य प्रकाशित पुस्तक “ काया री कळझळ” का लाइव लोकार्पण किया गया। राजस्थानी साहित्य, कला और संस्कृति से परिचय करवाने के लिए ”आखर पोथी“ नाम से आयोजित पहल के अंतर्गत राजस्थानी भाषा के साहित्य और लोकार्पित पुस्तक काया री कळझळ पर चर्चा की गई।
श्री सीमेंट की ओर से समर्थित इस डिजीटल लाइव कार्यक्रम का संचालन करते हुए मोनिका गौड़ ने कहा कि राजस्थानी कहानी में नवाचार हुए हैं और अब स्त्री विमर्श तक बात पहुंची है। गौरवशाली राजस्थानी इतिहास से लेकर अब आधुनिकता तक राजस्थानी साहित्य का सृजन हो रहा है।
लेखिका संतोष चौधरी ने कहा कि इस पुस्तक में स्त्री ही नहीं पुरुष मन की भी बात है जो पुरुष हैं पर स्त्री मन रखते हैं। पुस्तक में आधुनिक शब्दों का प्रयोग सहजता और सरलता के लिए किया गया है ताकि हिंदी को पढ़ने वाले भी राजस्थानी पढ़े तो उन्हें आसान लगे। आज की पीढ़ी भी सहजता से पढ़े तो उनको अच्छा लगे। साहित्यकार रेखा लोढ़ा ने समीक्षा करते हुए कहा कि इस पुस्तक की कहानियों में आज के यथार्थ और विसंगतियों को उजागर किया गया है। इसमें आम आदमी मजदूर किसान महिलाएं उनके सुख-दुख और आधुनिक भाव बहुत की कहानियां है। सफल कहानी वही होती है जो पाठक के मन में हलचल पैदा करती है उसके मन को झिंझोड़ती है। इन कहानियों से लगता है कि राजस्थानी कहानी का वाला समय अच्छा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विमला भंडारी ने कहा कि इस पुस्तक की भाषा कलात्मक पक्ष काफी अच्छा है। कथा ही एक ऐसा विधान है जो पुराने समय से चल रहा है यह हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने का माध्यम है। इस पुस्तक की कहानियों में स्त्री का मन मुखर हुआ है जहां स्त्री की कोमलता है तो दृढ़ता भी है। जैसे दूजवर कहानी में राजस्थानी महिला का उदात्त चरित्र सामने आता है।
कार्यक्रम के समापन पर ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के प्रमोद शर्मा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
गौरतलब है कि आखर कार्यक्रम में फेसबुक पर ही इससे पहले साहित्यकार मोहन पुरी की पुस्तक ”अचपळी बातां“ और गजेसिंह राजपुरोहित की पुस्तक पळकती प्रीत का लोकार्पण हो चुका है।
इसके अतिरिक्त प्रतिष्ठित राजस्थानी साहित्यकारों डॉ. आईदान सिंह भाटी, डॉ. अरविंद सिंह आशिया, रामस्वरूप किसान, अंबिका दत्त, मोहन आलोक, कमला कमलेश, भंवरसिंह सामौर, डॉ. गजादान चारण, ठाकुर नाहर सिंह जसोल आदि के साथ साहित्यिक चर्चा की जा चुकी है।